अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या हैं? (What is IMF in Hindi)
आईएमएफ़ की स्थापना 1944 में की गई थी। विभिन्न देशों की सरकार के 45 प्रतिनिधियों ने अमेरिका के ब्रिटेन वुड्स में बैठक कर अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक समझौते की रूपरेखा तैयार की थी। 27 दिसम्बर, 1945 को 29 देशों के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आईएमएफ़ की स्थापना हुई।
190 countries
The International Monetary Fund (IMF) is an organization of 190 countries, working to foster global monetary cooperation, secure financial stability, facilitate international trade, promote high employment and sustainable economic growth, and reduce poverty around the world.
Kristalina Georgieva: IMF की प्रमुख बनीं क्रिस्टालिना जॉर्जीवा
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या हैं – IMF in Hindi
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक संगठन (international monetary organization) है जिसकी स्थापना युद्ध के बाद संसार के विभिन्न देशों ने मिलकर की है ताकि विश्व के संतुलित विकास को प्रोत्साहित करते हुये एवं विभिन्न मुद्राओं की बहुपरिवर्तनीयता (Multi Covertability) को सम्भव बनाते हुए विश्व में आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) स्थापित की जाय। कोष की स्थापना ब्रिटेन वुड्स (Britain Woods) समझौते के आधार पर की गई है। इसने अपने कार्य का आरम्भ 1947 से प्रारम्भ किया है।
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य (Objectives of IMF in Hindi)
इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
(a) मौद्रिक सहयोग में वृद्धि
विश्व के देशों के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहित करके बहुद्देश्यीय भुगतान प्रणाली की स्थापना करना है।
(b) व्यापार तथा रोजगार में वृद्धि
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को दृढ़ स्तर पर प्रोत्साहित करना, ताकि समस्त सदस्य देशों का व्यापार उन्नत होने से उनकी आय में वृद्धि हो तथा उनके यहाँ रोजगारी का उच्च स्तर (high level of employment) स्थापित किया जा सके।
(c) विनिमय स्थिरता को प्रोत्साहन
कोष का तीसरा उद्देश्य है विश्व में विनिमय स्थिरता को प्रोत्साहित करना। चूँकि विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव विश्व व्यापार के मार्ग में बाधक होते हैं, अत: कोष का उद्देश्य है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सुदृढ़ विकास करने की दृष्टि से विनिमय स्थिरता स्थापित की जाय। इस पर किसी भी विनिमय स्थिरता (exchange stability) की नीति के सम्बन्ध में पूर्ण कठोरता का पालन नहीं किया जाता है एवं कोष द्वारा सदस्य देशों को इस बात की अनुमति प्राप्त है कि वह निश्चित सीमा तक नीति का पालन कर अपनी मुद्राओं के समता मूल्यों में परिवर्तन कर सकते हैं।
इस प्रकार विनिमय स्थिरता की दृष्टि से कोष ने कुछ तत्व स्वर्णमान तथा कुछ तत्व परिवर्तनीय विनिमय दर प्रणाली से लेकर उन्हें समझौते की स्थिति अर्थात विनिमय दरों की लोचपूर्ण स्थिरता से सम्बद्ध कर दिया है।
(d) भुगतान सन्तुलन में सहायता
सदस्य देशों में आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा के साथ अनुकूल मात्रा में short term fund प्रदान करना ताकि सदस्य देश national and international progress में बाधा पहुँचाए बिना ही अपने भुगतान कोषों की विपक्षता को दूर कर सकें।
(e) भुगतान विषमता दूर करना
सदस्य देशों की international payment balances की स्थायी विषमात की अवधि एवं मात्रा कम करने के लिए सदस्य देशों को कोष प्रदान करना। यहाँ यह ध्यान रखना चाहिए की कोष सदस्य देशों के भुगतान शेषों की स्थायी विषमता (Long time disequilibrium) दूर करने में सहायता नहीं करता है।
(f) विदेशी विनिमय बाधाओं तथा पूर्ण मुद्रा ह्रास को हतोत्साहित करना
मुद्रा कोष का अन्तिम उद्देश्य यह है कि यह सदस्य देशों की समस्त प्रकार की Foreign Exchange Restrictions एवं Complete depreciation of currency की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करता है। इस सम्बन्ध में कोष चार्टर की धारा 8 में यह स्पष्ट लिखा गया है कि कोई सदस्य देश बिना कोष की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किये चालू अन्तर्राष्ट्रीय लेने-देन के हस्तांतरण तथा भुगतान के मध्य किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं लगावेगा। इसके साथ कोष ने सदस्य देशों को यह अनुमति दे दी है कि सदस्य देश अपने यहाँ से पूँजी की उड़ान (flight of capital) पर प्रतिबन्ध लगा सकता है। पर इस संबंध में भी शर्त है कि इस प्रकार के प्रतिबन्ध के कारण चालू लेन-देन तथा क्रियाशील व्यापार से उत्पन्न पूँजी की चालकता में किसी प्रकार से बाधा न पड़े।
(IMF Functions)
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निम्न कार्य सम्पन्न किये जाते हैं:
(1) विनिमय दरें (Exchange Rates): मुद्रा-कोष की स्थापना होने पर सदस्य देशों से उनकी मुद्राओं का मूल्य सोने व अमेरीकी डालर में घोषित करने को कहा गया। स्वर्ण को सामान्य आधार स्वीकार किया गया और कोष द्वारा विभिन्न देशों के साथ समता दरें निर्धारित की गई। विनिमय दरें निर्धारित होने के बाद सन् 1971 तक कोई देश अपनी समता दर में निर्धारित दर की एक प्रतिशत की सीमा से कमी या वृद्धि नहीं होने देता था।
मुद्रा विनिमय दरों के संबंध में प्रतिबन्धित लोच (Managed flexibility) की नीति अपनाई गई। किसी भी सदस्य देश को उसकी प्रारम्भिक समता दर (par value) में कोई की बिना स्वीकृति के ही केवल उसे (कोष को) सूचित करते हुए, 10 प्रतिशत तक के परिवर्तन की अनुमति दी गई। इससे आगे 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक के परिवर्तन के लिये मुद्रा कोष से पूर्व स्वीकृति लेने की व्यवस्था का प्रावधान किया गया तथा यह व्यवस्था की गई कि 20 प्रतिशत से अधिक परिवर्तन की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2/3 सदस्यों की सहमति होनी चाहिए।
19 दिसम्बर 1971 के स्मिथ सोनियन समझौता (Smith Sonian Agreement) के अनुसार exchange rate की उच्चावचन सीमा में वृद्धि करके इसे 22 प्रतिशत कर दिया गया। स्मिथ सोनियन समझौता, जो कि dollar crisis के निवारण के संबंध में हुआ था, उसके मुख्य पहलू निम्न प्रकार थे:
(i) डॉलर का अवमूल्यन (Dollar Depreciation): स्वर्ण मूल्य 35 डालर प्रति औंस के स्थान पर 38 डॉलर प्रति औंस किया गया। अन्य शब्दों में, डॉलर का 7.9 प्रतिशत अवमूल्यन हो गया। (ii) विनिमय दर की उतराव-चढ़ाव सीमाः विदेशी मुद्राओं के मूल्य में 1 प्रतिशत की उच्चावचन सीमा को बढ़ाकर 2.65 प्रतिशत कर दिया गया।
(iii) विनिमय दरों में परिवर्तन (Changes in Exchange Rates): सदस्य देशों को अपनी मुद्रा की विनिमय दर स्वर्ण और डालर से नये सिरे से इच्छानुसार निश्चित करने की अनुमति दे दी गई फलत: कुछ मुद्राएँ अवमूल्यित तथा कुछ अधिमूल्यित हो गई।
(iv) अमेरीकी आयात पर अधिभार का अन्त (End of surcharge on US imports): अमेरीकी सरकार ने अपने आयातों पर जो 10 प्रतिशत अधिभार लगाया था उसे हटा लिया गया।
स्मिथ सोनियन समझौता (Smith Sonian Agreement) के बावजूद भी विनिमय दरों में स्थायित्व न हो सका। इन दशाओं में स्वतन्त्र दरों (Floating Rates) की नीति अपनायी गयी। विकासशील देशों द्वारा अपनी मुद्राओं को डॉलर, पौंड आदि के साथ संबंधित किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने जनवरी 1976 में स्वतन्त्र विनिमय दरों को ही स्वीकृति देने का निश्चय किया। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अन्तरिम समिति के निर्णयानुसार सदस्य देशों द्वारा विनिमय दरों के संबंध में स्वतन्त्र नीति अपनाई जा सकती है।
परन्तु उनको सामान्य स्वभाव की स्वदेशी व विदेशी आर्थिक नीतियों (Indigenous and foreign economic policies) को मानना होगा। सदस्य देशों को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा दूसरे सदस्य राष्ट्रों के साथ उचित विनिमय व्यवस्था बनाये रखना चाहिये तथा विनिमय दर में स्थिरता को प्रोत्साहन देना चाहिए।
(2) तकनीकी सहायता (Technical Support): मुद्रा कोष सदस्य देशों को तकनीकी सहायता देने की व्यवस्था करता है। यह सहायता दो प्रकार से की जा सकती है-
(a) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष के अधिकारी सदस्य देशों को उनकी विशेष समस्याओं के संबंध में परामर्श देते हैं। इससे सदस्यों की उचित monetary, exchange, revenue, भुगतान संतुलन नीतियों के निर्माण में सहायता मिलती है।
2.मुद्रा कोष के प्रकाशन: मुद्रा कोष द्वारा सदस्य देशों में अपने प्रकाशनों के माध्यम से ज्ञान का प्रसार किया जाता है। इसके अनेक प्रकाशन हैं जैसे अन्तर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण (International Survey – fortnightly), अन्तर्राष्ट्रीय विकास समंक (International Development Data) (मासिक), भुगतान सन्तुलन वार्षिक, विनिमय नियन्त्रणों पर वार्षिक रिपोर्ट, व्यापार की दिशा (मासिक, वित्त एवं विकास त्रैमासिक) आदि।
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अंग
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अंग निम्न प्रकार से है:
(1) प्रशासक मंडल (Board of Governors):
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की समूची शक्तियाँ प्रशासक मण्डल में है। प्रशासक मंडल मुद्रा-कोष की साधारण सभा के रूप में होता है। इसके द्वारा नीतियों का निर्धारण, अभ्यंश में परिवर्तन, नये सदस्यों का प्रवेश, निदेशकों के चुनाव आदि का कार्य सम्पन्न किया जाता है। प्रशासक मण्डल में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त किया गया एक प्रशासक (गवर्नर) होता है। इसकी कार्यावधि 5 वर्ष होती है। सदस्य देश एक वैकल्पिक प्रशासक को भी नियुक्त करता है। प्रशासक मण्डल का वार्षिक अधिवेशन सितम्बर या अक्टूबर माह में होता है।
(2) कार्यकारी प्रबंध निदेशक मंडल (Board of Executive Directors):
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष के दैनिक कार्य संचालन हेतु एक कार्यकारी प्रबंध निदेशक मण्डल है। इसमें 24 सदस्य होते हैं। इसमें 5 सदस्य उन देशों के होते हैं, जिनके मुद्रा-कोष में सबसे अधिक अभ्यंश होते हैं। शेष सदस्यों का चुनाव क्षेत्रीय आधार के अनुसार होता है।
(3) प्रबंध संचालक (Managing Director):
मुद्रा-कोष का एक प्रबंध संचालक होता है। इसकी नियुक्ति कार्यकारी प्रबंध मण्डल करता है। यहाँ पर वह ध्यान देने योग्य बात है कि प्रबंध संचालक की नियुक्त प्रबंध मण्डल में से नहीं होती। वह एक निष्पक्ष व्यक्ति होता है।
(4) अन्य कर्मचारी:
मुद्रा-कोष के अन्य अधिकारी भी होते हैं। इनको प्रबंध संचालक या अन्य अधिकारी नियुक्ति करते हैं। अप्रैल 1976 में 1363 कर्मचारी थे।
प्रधान कार्यालयः अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष के विधान के अनुसार कोष का प्रधान कार्यालय उस देश में होना चाहिए जिसका अभ्यंश सबसे अधिक होता है। अमेरिका का अभ्यंश सबसे अधिक होने के कारण कोष का प्रधान कार्यालय (Head Office) वाशिंगटन (अमेरिका) में स्थित है। 1996 में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष के सदस्यों की संख्या 181 है। वर्तमान में यह संख्या 189 है।
मुद्रा कोष के साधन: जब कोई देश मुद्रा-कोष की सदस्यता स्वीकार करता है तो उसके लिये अभ्यंश निर्धारित कर दिया जाता है। मुद्रा-कोष के वित्तीय साधनों का निर्माण समस्त सदस्य देशों के quotas से होता है। प्रारम्भ में कोष का सदस्य बनने हेतु किसी देश को अपने अभ्यंश का एक भाग स्वर्ण के रूप में तथा अन्य भाग अपनी मुद्रा में जमा करना पड़ता था। अब स्वर्णमान विशेष आहरण अधिकार (SDR) के रूप में जमा किया जा सकता है।
अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक आवश्यकताओं के अनुसार मुद्रा-कोष के साधनों को बढ़ाया जाता रहा है। 1959 में सदस्य देशों के अभ्यंशों को 50 प्रतिशत बढ़ाया गया, 1965 में अभ्यंशों को 25 प्रतिशत बढ़ाया गया। तत्पश्चात् 1970 में अभ्यंशों में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 1976 में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की पूँजी 33.6 प्रतिशत से बढ़ गई। 20 मार्च 1972 से कोष का एकाउन्ट SDR में व्यक्त होता है। पहले SDR की एक इकाई 0888371 ग्राम सोने के बराबर थी। जुलाई 1974 से SDR का मूल्य 16 देशों की मुद्राओं के औसत मूल्य के आधार पर निर्धारित होता है। सदस्य देशों की मुद्राओं का मूल्य SDR में प्रकट होता है। 1983 में कोष के कोटा बढ़कर पूँजी 98 हजार करोड़ हो गई।
Frequently Asked Questions
आईएमएफ में “पेपर गोल्ड” किसे कहा जाता है?
उत्तर: SDR (Special Drawing Rights)
एसडीआर को कौन जारी कर सकता है?
उत्तर: IMF (International Monetary Fund)
ब्रेटन वुड्स ट्विन्स (BrettonWoods Twins) किसे कहा जाता है?
उत्तर: IMF and International Bank for Reconstruction and Development (IBRD)
आईएमएफ मुख्य रूप से देश की किन नीतियों पर केंद्रित है?
उत्तर: Macroeconomic
आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य कौन होते हैं?
उत्तर: सभी सदस्य देश