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बुद्ध और भिखारी |Gautam Buddha Moral Stories in Hindi #motivational_story

 बुद्ध और भिखारी – Gautam Buddha Moral Stories in Hindi




एक बार एक भिखारी अपने जीवन से परेशान हो चुका था क्योंकि उसे अपने जीवन को चलाने के लिए भीख मांगना पड़ता था। उसे हर एक चीज के लिए भीख मांगना पड़ता था। इसी बात को लेकर वह दुखी रहता और दिन भर यही सोचता कि उसकी जीवन में बदलाव कैसे आएगा? यह सोचकर वह निराश हो जाता।


वह हर दिन देखता की बहुत सारे लोग निराश होकर, आंखों में आंसू लिए लोग और विभिन्न चिंताओं से परेशान लोग गौतम बुद्ध की तरफ जाते और वापस लौटते समय वे लोग बहुत ही खुश होते थे। वह भिखारी यह नहीं समझ पा रहा था कि गौतम बुद्ध उनके साथ ऐसा क्या करते थे कि वे बेहद खुश हो जाते थे? वापस लौटते हुए लोगों के हाथों में ना तो ढेर सारे पैसे होते थे ना ही सोने चांदी तो फिर ऐसा क्या होता था कि लोग बुद्ध के पास से लौटते वक्त इतना खुश होते थे? यह सब सोचकर वह भिखारी भी निर्णय लिया कि वह भी महात्मा बुद्ध के पास जाएगा और देखेगा कि ऐसा वहां क्या हो रहा है की दुखी लोग उनके पास जाकर खुश हो जाते हैं।


वह बुद्ध से मिलने के लिए उनके पास चल पड़ा। जहां बुद्ध मौजूद थे वहां बहुत लंबी कतार लगी हुई थी तो वह भिखारी भी कतार में लग गया। कतार में लगकर वह अपनी बारी का इंतजार करने लगा। देखते ही देखते उसकी बारी आई और उसने बुद्ध से कहा, “बुद्ध मैं बहुत ही गरीब हूं। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मुझे अपना जीवन चलाने के लिए भी दूसरों से भीख मांगनी पड़ती है। अब आप ही बताइए कि मैं अपने जीवन को कैसे बेहतर कर सकूं?”


यह सब सुनकर बुद्ध ने कहा, “तुम गरीब नहीं हो। तुम्हें ऐसा लगता है क्योंकि आज तक कभी तुमने किसी के लिए कुछ भी नहीं किया। ना ही तुमने कभी किसी को दान दिया। ना ही तुमने दूसरों के लिए कुछ किया।”


यह सब सुनकर भिखारी के मन में एक आशंका जाग उठी। अपनी आशंका को दूर करने के लिए भिखारी ने पूछा, “मैं तो एक भिखारी हूं। मैं लोगों को दान कैसे दे सकता हूं और कैसे लोगों की सहायता कर सकता हूं? मुझे तो खुद अपना जीवन चलाने के लिए दूसरों से मांगना पड़ता है।”


यह सब सुनने के बाद गौतम बुध थोड़ी देर चुप रहे और फिर उसे बोले, “तुम्हारे पास हाथ है जिससे तुम लोगों की सेवा में लगा सकते हो और दूसरों का भला कर सकते हो। इसके अलावा तुम्हारे पास मुह है जिससे तुम लोगों से अच्छी-अच्छी बातें कर सकते हो और दूसरों का हौसला बढ़ा सकते हो। यह सब करके भी तुम दूसरों की सहायता कर सकते हो। जरूरी नहीं कि दान सिर्फ पैसों से किया जाए। हम चाहे तो हम शिक्षा का भी दान कर सकते है। चाहे तो अन्न का भी दान कर सकते हैं। ऊपर वाले ने अगर किसी को पूर्णतःअच्छा शरीर दिया है तो वह गरीब नहीं है। वह बस दिमाग से गरीब है। उसे इस विचार से हटकर दूसरों की सेवा में लगाना चाहिए।”


बुद्ध की यह सब बातें सुन लेने के बाद वह भिखारी बहुत ही ज्यादा खुश हो गया और उसका मन अब संतुष्ट था।


By sidhartha

ऐसी प्रेरणा वाली कहानी पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे।

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